भोपाल, मध्य प्रदेश न्यूज़ – Dalit journalist Bhind police brutality: मध्य प्रदेश के भिंड जिले से लोकतंत्र और पत्रकारिता की आज़ादी को शर्मसार करने वाली एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। जिले के एसपी कार्यालय में पुलिसकर्मियों द्वारा लगभग आठ पत्रकारों की बेरहमी से पिटाई की गई। इनमें से दो प्रमुख पत्रकार – शशिकांत गोयल और अमरकांत चौहान – को इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि उन्होंने पुलिस प्रशासन की भ्रष्ट गतिविधियों के खिलाफ रिपोर्टिंग की थी।

✊ दलित पत्रकार शशिकांत गोयल को जाति पूछकर पीटा गया
शशिकांत गोयल, जो कि दलित समुदाय से आते हैं, का आरोप है कि 1 मई को उन्हें एसपी डॉ. असित यादव के ऑफिस बुलाया गया। वहां एसआई गिरीश शर्मा और सत्यबीर सिंह ने उनका नाम और जाति पूछी। जब उन्होंने बताया कि वह शशिकांत गोयल जाटव हैं, तो उन्हें चप्पलों से पीटना शुरू कर दिया गया।
“मुझे कहा गया कि तुम पुलिस के खिलाफ बहुत लिखने लगे हो, इसलिए मार पड़ेगी,” – शशिकांत गोयल
उन्होंने आगे बताया कि जातिसूचक गालियां दी गईं और “जी सर” बोलने के लिए मजबूर किया गया। जब उन्होंने विरोध किया, तो एसपी की मौजूदगी में फिर से मारपीट की गई।
☕ “चाय पर चर्चा” के बहाने अमरकांत को बुलाया और पीटा गया
अमरकांत चौहान ने बताया कि उन्हें चाय पर चर्चा के बहाने एसपी ऑफिस बुलाया गया। वहां उनका फोन छीन लिया गया और फिर पीठ में लात मारकर पुलिसकर्मियों ने पीटना शुरू किया।
“मैं गिर गया था, लेकिन एसपी साहब खड़े होकर सब कुछ देखते रहे। किसी ने नहीं रोका।” – अमरकांत चौहान
रात को पुलिस उनके घर पहुंची और धमकाया कि मारपीट का जो वीडियो उन्होंने रिकॉर्ड किया है, वह फर्जी है और उसे डिलीट करने का दबाव बनाया।
🛡️ भोपाल पहुंचे पत्रकार, सुरक्षा और न्याय की मांग
घटना के बाद पीड़ित पत्रकार रॉयल प्रेस क्लब के पदाधिकारियों के साथ भोपाल पहुंचे, जहां उन्होंने डीजीपी और इंटेलिजेंस एडीजी ए साई मनोहर से मुलाकात की और आरोपियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की।
मुख्य मांगें:
- एसपी असित यादव को तत्काल निलंबित किया जाए
- एसआई गिरीश शर्मा और सत्यबीर सिंह के खिलाफ FIR दर्ज कर गिरफ्तारी हो
- पीड़ित पत्रकारों को सुरक्षा प्रदान की जाए
🚨 क्या यह मामला SC/ST एक्ट के तहत गंभीर अपराध नहीं है?
शशिकांत गोयल के दलित होने और जाति पूछकर पीटे जाने के आधार पर यह मामला साफ़ तौर पर SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के अंतर्गत आता है।
प्रासंगिक धाराएं:
- धारा 3(1)(r): जातिसूचक शब्दों से सार्वजनिक अपमान – 5 साल की सजा
- धारा 3(1)(s): सार्वजनिक रूप से अपमान – 5 साल की सजा
- धारा 3(2)(va): जातिगत आधार पर अन्य अपराध – कठोर सजा
🗣️ राजनीतिक प्रतिक्रिया: कांग्रेस और विपक्ष का विरोध
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इस घटना को लोकतंत्र की हत्या बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस सरकारी दबाव में काम कर रही है और स्वतंत्र पत्रकारिता को कुचला जा रहा है।
विपक्ष के नेता उमंग सिंघार ने डीजीपी को पत्र लिखकर निष्पक्ष जांच की मांग की है और कहा कि वे इस मुद्दे को विधानसभा में जोरदार तरीके से उठाएंगे।
🚫 एसपी का इनकार: आरोपों को बताया निराधार
एसपी असित यादव ने कहा कि ऐसी कोई घटना नहीं हुई है। उन्होंने दावा किया कि पत्रकारों ने खुद ही वीडियो बनाकर कहा था कि कोई मारपीट नहीं हुई। अब वे भोपाल जाकर क्यों आरोप लगा रहे हैं, यह समझ से परे है।
📝 न्याय की उम्मीद और पत्रकारों का संकल्प
हालांकि पत्रकार डरे हुए हैं, लेकिन शशिकांत और अमरकांत ने कहा कि वे सच लिखना और आवाज़ उठाना बंद नहीं करेंगे।
“अगर हम चुप रह गए, तो यह सिलसिला नहीं रुकेगा। हम कानूनी लड़ाई लड़ेंगे और सच सामने लाते रहेंगे।”
🔍 निष्कर्ष: क्या होगा लोकतंत्र का भविष्य?
भिंड में दलित पत्रकार पर जाति पूछकर पुलिस द्वारा मारपीट एक गंभीर मामला है जो भारत में पत्रकारों की सुरक्षा और जातिगत अन्याय पर सवाल खड़े करता है। यह देखना अब जरूरी है कि क्या सरकार और कानून इस मुद्दे पर एससी-एसटी एक्ट के तहत उचित कार्रवाई करते हैं या नहीं।
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